आध्यात्मिक उपचार हेतु पवित्र विभूति लगाना

SSRF का परामर्श है कि, भौतिक एवं मानसिक व्याधियों के उपचार में परंपरागत औषधोपचार के साथ-साथ आध्यात्मिक उपचार करते रहना चााहिए । वाचकों को हमारा परामर्श है कि आध्यात्मिक उपचारों का प्रयोग वे अपने विवेकानुसार करें ।

१. प्रस्तावना – आध्यात्मिक उपचार के रूप में पवित्र विभूति का प्रयोग

SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती से बनी विभूति उत्तम तथा सहज-सुलभ स्व-सहायक आध्यात्मिक उपचार है । सकारात्मक शक्ति प्राप्त करने तथा पूर्वजों एवं अनिष्ट शक्तियों (राक्षस, शैतान आदि) के कष्ट के निवारण हेतु इसका नियमित उपयोग किया जा सकता है ।

संदर्भ:

२. विभूति लगाने की पद्धति पर आधारित एक वीडियो

इस वीडियो में त्वचा की समस्याएं जैसे एक्जिमा (चकते पडना) पर पवित्र विभूति कैसे लगाएं यह दिखाया गया है ।

३. SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती से बनी विभूति लगाने पर, होनेवाली प्रक्रिया

SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती से बनी पवित्र विभूति में समाहित ईश्वरीय चैतन्य तेजतत्त्व के स्तर पर कार्य करता है ।

१. जिन्हें पूर्वजों अथवा अनिष्ट शक्तियों से कोई कष्ट नहीं है उन्हें SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती से बनी विभूति लगाने से सकारात्मक शक्ति प्राप्त होती है ।

२. आध्यात्मिक शोध से पता चला है कि विश्व की १०० प्रतिशत जनसंख्या अपने जीवन के किसी न किसी काल में पूर्वजों अथवा अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित हाेती है । विश्व के अधिकांश लोग पूर्वजों अथवा पहले पाताल की अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित अथवा आविष्ट होते हैं । ऐसे प्रकरणों में जहां आक्रमण अपेक्षाकृत निम्नस्तर की शक्तियों द्वारा किए जाते हैं, पवित्र विभूति उन शक्तियों से प्रभावित व्यक्ति के चारों ओर बना काली शक्ति का आवरण नष्ट कर देती है । इस प्रकार विभूति लगाने से प्रभावित व्यक्ति को कष्ट से छुटकारा मिल जाता है ।

३. दूसरे से सातवें पाताल की अनिष्ट शक्तियों से पीडित लोगों के संदर्भ में : पवित्र विभूति लगाने से शक्तियों द्वारा निर्मित आवरण दूर हो जाता है । जिससे लोगों को काली शक्ति के आवरण से जनित कष्ट से अस्थायी आराम मिलता है । हर आधे घंटे के अंतराल में विभूति लगाना उपचार कर रहे व्यक्ति में पुन: काली शक्ति निर्मित करने की प्रक्रिया को रोकता है ।

संदर्भ लेख : आध्यात्मिक उपचार हेतु SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती की क्या विशेषता है ? 

४. SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती से बनी विभूति लगाने की विभिन्न पद्धतियां

४.१ पवित्र विभूति को शरीर के संवेदनशील भागों में सुरक्षा कवच की तरह लगाना

भ्रू-मध्य क्षेत्र, हथेली, तलवे एवं पैर की एडियां तथा माथा ये सर्व नकारात्मक अथवा सकारात्मक तरंगों को ग्रहण करनेवाले अतिसंवेदनशील भाग हैं । अत: यदि ये भाग कष्टदायक तरंगें अथवा अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस, शैतान, आदि) से उत्पन्न तरंगें ग्रहण करते हैं तब सिर दुखना, संभ्रम, शक्तिहीनता, आदि अनुभव होते हैं । पवित्र विभूति को इन संवेदशील भागों में लगाने से अनिष्ट शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है । नीचे दिखाए गए सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र में यह दर्शाया गया है कि SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती से बनी विभूति भ्रू-मध्य  में आज्ञाचक्र पर लगाने से क्या होता है ।

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आगे दिए चलचित्र में दिखाया है कि एक अनिष्ट शक्ति (जो आविष्ट व्यक्ति में प्रकट हुई है) किस प्रकार SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती से बनी विभूति आज्ञाचक्र पर लगाने से कैसी प्रतिक्रया देती है ।

४.२ केश के मूल एवं अग्रभाग में विभूति लगाना

अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस, आदि) से प्रभावित व्यक्ति के केश के अग्र भाग में काली शक्ति को अवशोषित करते हैं, उसे केश में संजोकर रखते हैं तथा केशाग्रों के माध्यम से उसे प्रसारित कर व्यक्ति को कष्ट देते हैं । SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती से बनी विभूति केश के अग्र भाग तथा केश के मूल में लगाने से कष्ट पहुंचाने की इस प्रक्रिया को रोकती है ।

४.३ शरीर के वेदनादायी भागों में पवित्र विभूति लगाना

शरीर के जिन भागों में वेदना हो रही हो जैसे सिर, टखना आदि में विभूति लगाने से आध्यात्मिक कारणों से उत्पन्न वेदना घट जाती है । उदाहरणार्थ यदि वेदना की तीव्रता ५ ईकाई है एवं २ ईकाई वेदना आध्यात्मिक कारणों जैसे किसी अनिष्ट शक्ति के कारण हो तो विभूति लगाने से २ ईकाई वेदना घट जाएगी ।

४.४ आंखों की पलक, मुख, केश तथा हथेली में विभूति लगाना

अपनी आंखों की पलकों, मुख, केश तथा हथेली में विभूति लगाने से अनिष्ट शक्ति तथा मृत पूर्वजों के कारण लगनेवाली तंद्रा तथा शिथिलता न्यून होती है ।

४.५ शक्तिहीनता एवं प्राणशक्ति न्यून होने पर विभूति लगाना एवं सूंघना

प्राणशक्ति न्यून होने के कारण उत्पन्न शक्तिहीनता विश्राम तथा सर्वोत्तम औषधोपचार से भी प्रायः दूर नहीं होती । इससे छुटकारा पाने के लिए हथेली में विभूति लगाकर उसे सूंघना चाहिए । इसके साथ ही पढें लेख – यदि थकान अनिष्ट शक्ति के कारण है तो कौन सा नामजप करें

४.६ वस्त्रों तथा अन्य वस्तुओं पर विभूति लगाना

प्राय: हम सभी का यह अनुभव है कि, पसीने अथवा अधिक पहने जाने के कारण वस्त्रों से दुर्गंध आने लगती है । यहां इसका कारण भौतिक है । कभी-कभी बिना पसीने के एवं वस्त्रों को कुछ समय के लिए पहनने पर भी वैसी ही दुर्गंध आती है । प्राय: यह उन केंद्रों से प्रक्षेपित होती हैं जो अनिष्ट शक्ति अथवा पूर्वज हमें कष्ट देने के लिए काली शक्ति संचित कर बनाए होते हैं ।

ऐसी दुर्गंध जो भौतिक कारणों से जैसे पसीना आदि से आती है उसे भौतिक पद्धतियों जैसे धोने से दूर किया जा सकता है; किंतु जिस दुर्गंध का स्रोत आध्यात्मिक जैसे अनिष्ट शक्ति हो, तो उसे आध्यात्मिक उपाय, जैसे दुर्गंधवाले स्थान पर विभूति लगाकर दूर किया जा सकता है । वाशिंग मशीन में वस्त्र धोते समय एक चुटकी विभूति डालने से उनकी आध्यात्मिक शुद्धि की जा सकती है । नियमित रूप से वस्त्रों तथा अलंकारों में विभूति लगाने से उनमें संचित काली शक्ति न्यून की जा सकती है ।

४.७ न्यास करने के पहले उंगलियों में विभूति लगाना

आध्यात्मिक उपाय हेतु न्यास करने से पहले उंगलियों में विभूति लगाने से उनकी प्रभावकारिता में वृद्धि की जा सकती है ।