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आध्यात्मिक शोध के माध्यम से, हमें ज्ञात हुआ कि दो व्यक्तियोंके मध्य अनुकूलता में निम्नलिखित घटकों का योगदान होता है । हमने घटकों को पति-पत्नी क्रियाशील साधक हैं अथवा नहीं, इस आधार पर अलग किया है ।

अनुकूलता को प्रभावित करनेवाले घटक साधक सामान्य लोग (जो साधक नहीं है)
शारीरिक ५% ५%
मानसिक ८% ८%
रुचि-अरुचि २% २%
स्वभाव के गुण २% २%
स्वभाव-दोष २% २%
अहं २% २%
बुद्धि २% २%
आध्यात्मिक ८५% ८५%
आध्यात्मिक स्तर में अंतर ५% ०%
साधना का मार्गl १०% ०%
एक व्यक्तिगत अर्थात व्यष्टि साधना पर ध्यान केंद्रित करता है जबकि दूसरा समाज के लिए साधना अर्थात समष्टि साधना करता है । ८% ०%
आध्यात्मिक उन्नति की इच्छा २% ०%
अनिष्ट शक्तियों का आक्रमण १०% ५%
पूर्वज १०% १०%
प्रारब्ध एवं लेन-देन का हिसाब ३०% ५०%
अन्य (स्थान, क्षेत्र) १०% २०%
कुल १००% १००%

टिप्पणियां (उपरोक्त सारणी के लाल अंकों पर आधारित) :

१. ‘शारीरिक’ से तात्पर्य युगल/व्यक्ति के केवल शारीरिक रूप तक ही नहीं; अपितु इनमें भौतिक बातें जैसे युगल को अलग करनेवाली दूरी, रोग, यौन इच्छाओं अथवा प्राथमिकताओं में अंतर इत्यादि, जैसे जो दो लोगों के बीच अनुकूलता को प्रभावित करनेवाले घटक भी सम्मिलित हैं ।

२. यद्यपि अहं मात्र २ प्रतिशत उत्तरदायी प्रतीत होता है, तथापि हमें ध्यान में रखना होगा अंतर के अन्य कारण भी वास्तव में अहं का प्रकटीकरण ही है ।

किसी विवाह के सफल होने अथवा न होने का कारण उपरोक्त सारणी से स्पष्ट होता है । जैसा कि आप देख सकते हैं दो लोगों के मध्य अनुकूलता मुख्य रूप से पंचज्ञानेंद्रिय, मन एवं बुद्धि की समझ से परे के अर्थात आध्यात्मिक घटकों पर निर्भर करती है । उन दोनों के मध्य के लेन-देन की मात्रा । शारीरिक रंग-रूप तथा मानसिक रूप से अच्छा युगल होना, इन घटकों का अनुकूलता में मात्र १३ प्रतिशत महत्व होता है ।