किन पितरों को सहायता की आवश्यकता होती है ?

निम्नलिखित तालिका में आध्यात्मिक स्तरानुसार विश्व की जनसंख्या का वर्गीकरण किया गया है । यह २०१३ में विश्व मन और बुद्धि से प्राप्त जानकारी पर आधारित है ।

वर्ष २०१३ में विश्व की जनसंख्या का आध्यात्मिक स्तर

आध्यात्मिक स्तर

विश्व जनसंख्या का प्रतिशत

जनसंख्या१1

२०-२९%

६३%

४.४६ अरब

३०-३९%

३३%

२.३४ अरब

४०-४९%

४%

२८.३० करोड

५०-५९%

नगण्य

१५,०००

६०-६९%

नगण्य

५०००

७०-७९%2

नगण्य

१००

८०-८९%

नगण्य

२०

९०-९९%

नगण्य

१०

१. ६ मई २०१३ को सरकारी जनगणना द्वारा विश्व जनसंख्या अनुमानतः ७.०८६ अरब पर आधारित

२. आध्यात्मिक स्तर ७०% अथवा उससे ऊपर संत होते हैं

कृपया पढें : आध्यात्मिक स्तर क्या है ?

जैसा कि आप देख सकते हैं कि आज विश्व में ५०% से अधिक लोगों का आध्यात्मिक स्तर २०-३०% है । जिनका आध्यात्मिक स्तर ३०% से अल्प होता है, साधना के अभाव के कारण उनकी सात्त्विकता अथवा उनका आध्यात्मिक बल अत्यंत अल्प होता है । किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत केवल उसके लिंग देह का आध्यात्मिक स्तर अथवा पवित्रता अर्थात सात्त्विकता ही मायने रखती है । भूलोक की भांति, स्थूल देह तथा अन्य संसारिक पहलू जैसे धन, प्रतिष्ठा, नौकरी, से हम कितने अच्छे से जुडे हैं इनका आध्यात्मिक आयाम अथवा सूक्ष्म जगत से कोई संबंध नहीं होता ।

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जैसा कि आप देख सकते हैं कि आज विश्व में ५०% से अधिक लोगों का आध्यात्मिक स्तर २०-३०% है । जिनका आध्यात्मिक स्तर ३०% से अल्प होता है, साधना के अभाव के कारण उनकी सात्त्विकता अथवा उनका आध्यात्मिक बल अत्यंत अल्प होता है । किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत केवल उसके लिंग देह का आध्यात्मिक स्तर अथवा पवित्रता अर्थात सात्त्विकता ही मायने रखती है । भूलोक की भांति, स्थूल देह तथा अन्य संसारिक पहलू जैसे धन, प्रतिष्ठा, नौकरी, से हम कितने अच्छे से जुडे हैं इनका आध्यात्मिक आयाम अथवा सूक्ष्म जगत से कोई संबंध नहीं होता ।

आध्यात्मिक स्तरानुसार पूर्वजों के लिए आवश्यक सहायता

२० – ३०%

अत्यधिक सहायता की आवश्यकता

३० – ५०%

मध्यम सहायता की आवश्यकता

५० %+

सहायता की आवश्यकता नहीं होती

इस आध्यात्मिक जडता के कारण, सूक्ष्मदेह ब्रह्मांड के उच्च लोकों में नहीं जा पाती हैं और इसलिए निचले स्तर के सूक्ष्मलोकों तक ही सीमित रहती हैं, जैसे कि भुवर्लोक तथा पाताल लोक । यहां वे अपने पापकर्म के अनुसार तीव्र कष्ट और दु:ख भोगती हैं । २०-३०% आध्यात्मिक स्तर पर लोगों के पाप उनके पुण्य से अधिक होते हैं । अत: वे इन लोकों में अधिकतर कष्ट और दु:ख का अनुभव करते हैं । इसके साथ ही, अधिक शक्तिशाली अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.)) उन पर आक्रमण कर उन्हें अपने वश में करती हैं । ऐसे पूर्वजों को आध्यात्मिक स्तर पर हमारी सहायता की अत्यधिक आवश्यकता होती है । इन पूर्वजों को हम आध्यत्मिक स्तर पर किस प्रकार से सहायता कर सकते हैं, यह हमने आगे के लेखों में बताया है ।

जिन पूर्वजों का आध्यात्मिक स्तर ३०-५०% के बीच होता है उन्हें हमारी सहायता की आवश्यकता अल्प होती जाती है । जिन पूर्वजों का आध्यात्मिक स्तर ५०% से अधिक होता है उन्हें मृत्यु उपरांत अपने संबंधियों से किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता नहीं होती  । यह भी एक मुख्य कारण है कि ५० % आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करना प्रमुख आध्यात्मिक उपलब्धि है, और इसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए ।