विश्व की कितनी प्रतिशत जनसंख्या अनिष्ट शक्तियों से (भूत, राक्षस, चुडैल इत्यादि से) प्रभावित है ?

कृपया ध्यान दीजिए हमने ‘अनिष्ट शक्तियां’ शब्द (भिन्न आध्यात्मिक सामर्थ्य से युक्त) विभिन्न प्रकार की सूक्ष्म शक्तियों के लिए सामूहिक संज्ञा के रूप में प्रयोग किया है, जिनका उद्देश्य है व्यक्ति अथवा समाज को हानि पहुंचाना ।

१. अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित विश्व की जनसंख्या का प्रतिशत

वर्ष २०१३ में विश्व की जनसंख्या लगभग ७.१ अरब थी । (संदर्भ : census.gov ).

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आजके युग में अनिष्ट शक्तियों की (भूत, राक्षस, चुडैल इत्यादि की) जनसंख्या मनुष्यों की जनसंख्या के दस गुना है । चूंकि अनिष्ट शक्तियों की (भूत, राक्षस, चुडैल इत्यादि की) जनसंख्या मनुष्यों की जनसंख्या से बहुत अधिक है, इस कारण वर्तमान काल में वे विश्व की जनसंख्या के एक बडे भाग को बडी मात्रा में हानि पहुंचाते हैं । यह प्रतिशत प्रतिवर्ष परिवर्तित होता रहता है । यद्यपि अधिकांश मानवजाति प्रभावित है, तथापि कुछ लोग अन्यों की तुलना में अधिक पीडित हैं, क्योंकि वे इन आसुरी शक्तियों से आवेशित रहते हैं । कृपया अनिष्ट शक्ति(भूत, राक्षस, चुडैल इत्यादि) से प्रभावित होने और उससे आवेशित होने में अंतर विषयपर हमारा लेख पढें ।

विश्व की जनसंख्या किस सीमा तक इन आसुरी शक्तियों से प्रभावित अथवा आवेशित है, इस विषय पर हमने (आध्यात्मिक शोध द्वारा प्राप्त) अपने निष्कर्ष इसी लेख के आगे के भागों में प्रस्तुत किए हैं ।

२. अनिष्ट शक्ति से प्रभावित व्यक्ति एवं अनिष्ट शक्ति से आवेशित व्यक्ति में तुलना

२०१३ में

  • विश्व की ३० % जनसंख्या अनिष्ट शक्ति से आवेशित थी ।
  • ५० % उनसे प्रभावित थे ।
  • २० % प्रभावित नहीं थे । उसमें से :
    • २० % में से ५० % कभी भी प्रभावित नहीं होते ।
    • २० % में से ५० % कुछ माह के लिए प्रभावित होते हैं ।

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टिप्पणी ये प्रतिशत स्थायी नहीं हैं और समय के साथ परिवर्तित होते हैं |

जैसा कि आप देख रहे हैं विश्व की जनसंख्या का एक बडा भाग आवेशित अथवा प्रभावित है । वैश्विक अशांति के मुख्य कारणों में यह भी एक कारण है । आसुरी शक्तियां लोगों के माध्यम से कार्य करती हैं और उनके स्वभावदोषों का लाभ उठाकर व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर विश्व में कलह अथवा अस्थिरता उत्पन्न करती हैं ।

कुछ लोग सोचते हैं, ‘मुझे नहीं लगता कि मैं आवेशित हूं ।‘ क्योंकि वे ‘आवेशित’ शब्द को ‘The Exorcist’ and ‘The Exorcism of Emily Rose’ नामक चलचित्रों में दिखाए भूतावेश के दृश्यों से जोडकर देखते हैं । वास्तव में, लगभग सभी प्रकरणों में आवेशित व्यक्ति को यह पता ही नहीं होता कि वह आवेशित है, जब तक कि प्रकटीकरण नाटकीय रूप से चलचित्रों में दिखाए अनुसार नहीं होता । इसका कारण यह है कि अधिकांश प्रकरणों में भूतावेश की प्रक्रिया अनेक वर्षों की कालावधि में धीरे-धीरे होती है । साथ ही व्यक्ति की चेतना पर बढते नियंत्रण के साथ अनिष्ट शक्ति अंततः आवेशित व्यक्ति के मन और बुद्धि पर भी इतना नियंत्रण कर लेती है कि उस व्यक्ति के विचार तथा भावनाएं भी नियंत्रित करने वाली शक्ति के होते हैं ।

सामान्यतः लोगोंको लगता है कि आवेश का अर्थ है तीव्र भूतावेश, जबकि आवेश अल्प, मध्यम अथवा तीव्र हो सकता है । – नीचे दिया भाग पढें

३. मानवजाति को प्रभावित करनेवाली अनिष्ट शक्तियों के प्रकार

अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित अथवा आवेशित विश्व की ८० % जनसंख्या के संदर्भ में :

  • ७० % (अर्थात विश्व की जनसंख्या का ५६ %) कनिष्ठ स्तरकी अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित अथवा आवेशित |
  • ३० % (अर्थात विश्व की जनसंख्या का २४ %) उच्च स्तरकी अनिष्ट शक्तियों अर्थात मांत्रिकों से प्रभावित अथवा आवेशित |

४. भूतावेश के स्तर के अनुसार जनसंख्या

कृपया भूतावेश के स्तर संबंधी लेख पढें |

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उपरोक्त रेखाचित्र में दर्शाए अनुसार ३० % आवेशित लोगों में से :

  • १४ % जनसंख्या ‘अल्प आवेशित’ के वर्ग में आती है । भूतावेश का यह वर्ग सरलता से बुद्धि द्वारा समझा जा सकता है । यह स्वाभाविक चिन्हों अथवा शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक अथवा आध्यात्मिक स्तर के आचरण द्वारा पता चल जाता है । अल्प भूतावेश में नियंत्रित करने वाली शक्ति का आध्यात्मिक सामर्थ्य एवं आवेशित व्यक्ति पर उसका नियंत्रण अन्य स्तरोंकी तुलना में न्यूनतम रहता है ।
  • तीव्र भूतावेश’ के वर्ग में आने वाले ८ % लोग, मानवजाति के लिए अत्यंत घातक होते हैं; क्योंकि नियंत्रित करने वाली शक्ति उच्च आध्यात्मिक स्तर की होती है (जैसे कि मांत्रिक) एवं उसका मुख्य ध्येय बडी मात्रा में समाज को हानि पहुंचाना होता है । इसलिए ये समान नकारात्मक व्यक्तित्त्वके लोगों को आवेशित करती हैं, जिनका स्वभाव दूसरों को हानि पहुंचाना हो, जैसे समाजमें आतंवादी गतिविधियां करना । 

५. आध्यात्मिक स्तर एवं अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित अथवा आवेशित लोगों को पहचानने की क्षमता

प्रायः पितर (पूर्वज ) एवं अनिष्ट शक्तियां पृथ्वी की घटनाओं को प्रभावित करते अथवा भडकाते हैं । बिना प्रगत छठवीं इंद्रिय के किसी व्यक्ति(विशेषकर जब वह अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित अथवा आवेशित होने के विषय में अनभिज्ञ हो) के लिए यह जानना असंभव है कि :

. कोई व्यक्ति प्रभावित है अथवा आवेशित |

२. किसी घटना का वास्तविक मूल कारण क्या है |

३. इसका कारक शारीरिक, मानसिक अथवा आध्यात्मिक कारण है जैसे अनिष्ट शक्ति का आक्रमण |

जब उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्ति जैसे मांत्रिक पृथ्वी की किसी घटना अथवा प्रसंग को बढावा देते हैं, तो उस घटना के पीछे उनका उद्देश्य जानना और भी कठिन होता है । उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्तियां निचले स्तर के भूतों को नियंत्रण में रखती हैं, जैसे बडे अपराधी छोटे को रखते हैं । छोटे अपराधियों को पकडना सरल होता है, परंतु घटना को बडे अपराधी से जोडना कठिन होता है ।

दूसरी ओर, यदि किसी व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर अधिक है और उसके पास छठवीं इंद्रिय की क्षमता है, वह किसी घटना अथवा प्रसंग के पीछे के वास्तविक कारणों को जान सकता है । सामान्यतः ऐसा व्यक्ति, समान आध्यात्मिक स्तर की अनिष्ट शक्ति के आक्रमण को ही पहचान सकता है । उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर ५० प्रतिशत है और उसकी छठवीं इंद्रिय सक्रिय है, तो वह केवल ५० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के भूत को ही पहचान सकता है ।

यदि आप इस पहलू के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया पढिए हमारालेख छठवीं इंद्रिय के माध्यम से अतींद्रिय घटनाओं को पहचान पाने की क्षमता के स्तर |

६. युगानुसार अनिष्ट शक्तियोंसे प्रभावित वैश्विक जनसंख्या का प्रतिशत

निम्नलिखित स्तंभ तालिका ब्रह्मांड के आरंभ से अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित अथवा आवेशित मानवजाति की सीमा दर्शाती है :

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टिप्पणी १०० % कलियुग, यह युग के अंत में आने वाले समय को सूचित करता है ।

वैश्विक जनसंख्या पर अनिष्ट शक्तियों के बढते प्रभाव का कारण है समय के साथ घटता मानवजाति का औसत आध्यात्मिक स्तर । जैसा कि आप देख सकते हैं, सत्ययुगमें लोगों का आध्यात्मिक स्तर ७० प्रतिशत था, जिससे उस युग के लोग अनिष्ट शक्तियों से मुक्त रहतेथे । दूसरी ओर, कलियुग में अधिकांश लोगों का आध्यात्मिक स्तर २० % है, जिसका अर्थ यह है कि अधिकांश जनसंख्या के पास स्वयं की रक्षा करने हेतु आवश्यक आध्यात्मिक सामर्थ्य नहीं है ।

कलियुगांतर्गत कलियुग में अनिष्ट शक्तियों का सामर्थ्य वर्ष २०१२१३ में उच्चतम स्तर पर था ।

कृपया पढें हमारा लेख धर्मयुद्ध तथा अच्छाई और बुराई का युद्ध