स्व-उपचार पद्धति – न्यास

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उंगलियों के जुडे हुए सिरों के माध्यम से शक्ति को प्रवाहित होने हेतु केंद्रित करना, न्यास कहलाता है । न्यास से हम जुडी हुई उंगलियों द्वारा अपनी आध्यात्मिक शक्ति को विशिष्ट शक्ति केंद्रों की ओर केंद्रित करते हैं ।

१. कुंडलिनी चक्र पर न्यास (आध्यात्मिक शक्ति केंद्र):

उदाहरण के लिए यदि उपचार हेतु आज्ञाचक्र पर न्यास करना है, तो वह इस प्रकार दिखार्इ देगा :

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२. दो कुंडलिनी चक्रों पर न्यास (आध्यात्मिक शक्ति केंद्र) :

यदि उपचार हेतु आज्ञाचक्र तथा अनाहत-चक्र पर न्यास करना है,तो वह इस प्रकार दिखाई देगा :

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न्यास करने की क्रियाविधि

न्यास सदैव नामजप के साथ करना चाहिए । नामजप से हमें नामजप के अधिष्ठाता देवता की दैवी शक्ति मिलती है । न्यास करने से, हम नामजप से प्राप्त उस दैवी शक्ति का प्रवाह विशिष्ट आध्यात्मिक शक्ति केंद्र की ओर मोडते हैं । ऐसा करने से शक्ति उस स्थान के अवयवों में फैल जाती है ।

यदि न्यास करते समय आपके हाथ में वेदना होने लगे, तो आप अपना हाथ नीचे ला सकते हैं । कुछ समय के लिए उसे विश्राम दें सकते हैं अथवा अपना हाथ भी बदल सकते हैं ।